मोदी-जिनपिंग की बैठक के लिए माहौल बनाने की कोशिश... एलएसी समझौते में चीन की नीयत पर एक्सपर्ट को क्यों है शक

बीजिंग: भारत और चीन देपसांग और डेमचोक सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त फिर से शुरू करने पर राजी हुए हैं। एलएसी पर गश्त फिर से शुरू करना पूर्ण पैमाने पर सैनिकों की वापसी की दिशा में अहम कदम है। अब चीनी सैनिक पहले की स्थिति में वापस आ ज

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बीजिंग: भारत और चीन देपसांग और डेमचोक सहित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त फिर से शुरू करने पर राजी हुए हैं। एलएसी पर गश्त फिर से शुरू करना पूर्ण पैमाने पर सैनिकों की वापसी की दिशा में अहम कदम है। अब चीनी सैनिक पहले की स्थिति में वापस आ जाएंगे और भारतीय सैनिकों को नहीं रोकेंगे जैसा कि वे 2020 से कर रहे हैं। मई 2020 में सीमा पर तनाव पैदा होने के लंबे समय बाद के बाद भारत-चीन सैनिकों की वापसी और गश्त फिर से शुरू करने के लिए एक समझौते पर पहुंचे हैं। हालांकि इस समझौते को एक्सपर्ट अलग तरह से देख रहे हैं।
स्ट्रैटजिक थिंकर विचारक और टिप्पणीकार ब्रह्मा चेलानी इस पूरे समझौते पर सवाल खड़े करते हैं। उन्होंने एक्स पर अपने एक पोस्ट में लिखा, 'सैन्य गतिरोध को समाप्त करने के लिए कोई डील नहीं हुई है। ये इस सप्ताह होने जा रहे ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी-शी की बैठक को सुविधाजनक बनाने के लिए किया गया है, जिसके तहत भारत और चीन एक गश्त व्यवस्था पर सहमत हुए हैं।' चेलानी ने कहा कि इस गतिरोध की जड़ चीन की ओर से गश्त सहित सीमा-प्रबंधन समझौतों का उल्लंघन है।


चीन की नीयत पर एक्सपर्ट को शक

ताइवान प्लस न्यूज के पत्रकार आदिल बरार लिखते हैं, 'मैं समझौते के नतीजे का अभी इंतजार करूंगा लेकिन पिछले महीने में एलएसी से दूर सैनिकों की कोई बड़ी गतिविधि नहीं देखी गई। मामूली वापसी से पीछे के क्षेत्रों में सैनिकों की दीर्घकालिक उपस्थिति का समाधान नहीं होगा। चीन लगातार एलएसी पर नए बुनियादी ढांचे तैयार कर रहा है। ये हालिया सैटेलाइट तस्वीरों से भी पता चलता है।

आदिल कहते हैं कि चीनी पक्ष की ओर से अभी तक डिसएंगेजमेंट का कोई जिक्र नहीं किया गया है। यह केवल कुछ गश्ती अधिकारों की बहाली के साथ छिटपुट वापसी है। लगता है कि सैनिक अपनी जगह पर बने रहेंगे। हम शिखर सम्मेलन के बाद तक इस पर कोई चीनी बयान नहीं देखेंगे। चीन फिर इसे बहुत महत्व नहीं देगा।


'ये सिर्फ ब्रिक्स में अच्छा माहौल बनाने के लिए'

सना हाशमी ने भारत-चीन में समझौते पर एक्स पर की गई अपनी पोस्ट में लिखा है, 'हम ब्रिक्स समिट के दौरान मोदी-शी की द्विपक्षीय बैठक देख सकते हैं। यह डील नरेंद्र मोदी को शी जिनपिंग की मुलाकात के लिए माहौल बनाने के लिए भी हो सकती है। अब देखते हैं यह संघर्ष विराम कब तक चलता है।'


सना ने आगे कहा कि चीन रणनीतिक रूप से कनाडा मुद्दे का इस्तेमाल पश्चिम को भारत के लिए एक अविश्वसनीय भागीदार की तरह पेश कर रहा है। चीन सुझाव दे रहा है कि एशियाई देशों को पश्चिमी प्रभाव के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। चीन की कोशिश कनाडा मुद्दे का भी फायदा उठाने की है।

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मनोज शर्मा

मनोज शर्मा (जन्म 1968) स्वर्णिम भारत के संस्थापक-प्रकाशक , प्रधान संपादक और मेन्टम सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं।

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